गुरु नानक जयंती: सतगुरु की उज्जवल आलोकमयी जयंती

गुरु नानक जयंती एक ऐसी अद्भुत और धार्मिक उत्सव है जो सिखों और भक्तों के बीच महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाता है। इस दिन, हम सतगुरु नानक देव जी के जीवन और उनके सिखों की महत्वपूर्ण शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके द्वारा स्थापित किए गए सिख धर्म की महिमा को मानते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम गुरु नानक जयंती को समर्पित करेंगे और उनके शिक्षाओं को जानने का प्रयास करेंगे, जो एक सशक्त और समर्थ समाज की दिशा में एक नया मार्ग दिखा रहे हैं।

गुरु नानक जयंती: सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार

गुरु नानक जयंती, जिसे प्रकाश पर्व या प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर या दिसंबर के महीने में पड़ता है। यह सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव की जयंती का उत्सव मनाता है, जिन्हें सिख धर्म के संस्थापक माना जाता है।

गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी गांव में हुआ था। चेहरे पर सूरज जैसा तेज आंखों में चंद्रमा जैसी शीतलता स्मरण करते ऐसा लगता है जैसे पवित्र होगा ऐसा अट्रैक्शन ऐसा आकर्षण के उनका चित्र देखने से मन न भरता हो। बात कर रहे हैं सिखों के पहले गुरु नानक जी की। 

श्री गुरु नानक देव जी बचपन से बहुत सारी देवी शक्तियां में देखने लग गई थी लोग उनसे बहुत प्रभावित हो गए थे क्योंकि जो मेडिटेशन 4 साल की उम्र में शुरू कर दिया जब बच्चे एक दिन में एक अक्षर सीखते हैं यह एक दिन में सारी किताब सीख जाते थे सारी धार्मिक किताबें इन्होंने 6 साल की उम्र तक पढ़ ली थी।

 एक बार उन्होंने बंजर जमीन पर इनको प्यास लगी थी वहां उन्होंने मुट्ठी जोर से मार के वहां से पानी निकाल दिया और पानी निकालने के बाद जब कोई सामने वाले लोगों से द्वेष करते तो उन्होंने उनको पत्थर की चट्टान जोर से फेंक के मारे उन्होंने पंजे से उसको रोक दिया आज भी चट्टान पर पंजा का निशान है इसलिए वह पंजा साहिब गुरुद्वारा है 

इसमें चमत्कार इतने अलॉकिक और इतने अद्भुत है कि पत्थर में भी जान डाल दे उन्होंने बचपन से ही ईश्वर के प्रति गहरी श्रद्धा रखी थी। उन्होंने एक नए धर्म की स्थापना की जो सभी धर्मों के लोगों को एक साथ लाने के लिए समर्पित था।

गुरु नानक देव ने सिख धर्म के पांच मूल सिद्धांतों को स्थापित किया:

  • एक ओंकार – एकता का अद्वितीय मंत्र:

    • गुरु नानक देव ने सिखाया कि भगवान एक हैं और सभी जीवों में उनका आत्मा बसता है। इससे उन्होंने समाज में एकता और सामंजस्य की महत्वपूर्णता को बताया।
  • नाम जाप – भगवान के नाम का स्मरण:

    • गुरु नानक ने भगवान के नाम का स्मरण करने की महत्वपूर्णता को बताया। उनका मानना था कि इससे आत्मा को शांति मिलती है और व्यक्ति दिव्य गुणों की प्राप्ति करता है।
  • वंद चक्को – सेवा भावना:

    • गुरु नानक ने सिखाया कि सेवा का भाव ही सबसे उच्च धर्म है। उनके अनुयायी जिस भी रूप में सेवा करते हैं, उन्हें दिव्यता की प्राप्ति होती है।
  • दान – दया और उदारता:

    • गुरु नानक ने धर्मिकता में दया और उदारता का महत्वपूर्ण स्थान दिया। उन्होंने बताया कि समाज में दान करना और दुखी लोगों की मदद करना ही सच्चे धर्म का पालन है।
  • हलाल मेअत – ईमानदारी और उद्यमिता:

    • गुरु नानक देव ने ईमानदारी और उद्यमिता का महत्वपूर्ण सिद्धांत दिया। उनका मानना था कि व्यक्ति को अपने काम में ईमानदार रहना चाहिए और मेहनत करना चाहिए।

ये सिद्धांत सिख धर्म के मूलभूत विश्वासों को परिभाषित करते हैं, और वे गुरु नानक देव के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित हैं।

गुरु नानक देव एक महान संत, शिक्षक और दार्शनिक थे। उन्होंने अपने जीवन में लोगों को प्रेम, करुणा और एकता के संदेश का प्रसार किया। उन्होंने सामाजिक और धार्मिक सुधारों के लिए भी काम किया, और उन्होंने सभी धर्मों के लोगों के बीच शांति और सद्भाव की स्थापना के लिए काम किया।

गुरु नानक देव की शिक्षाओं और उपदेशों ने सिख धर्म को एक मजबूत और जीवंत धर्म के रूप में विकसित करने में मदद की है। आज, सिख धर्म दुनिया भर में 30 मिलियन से अधिक अनुयायियों वाला एक प्रमुख धर्म है।

गुरु नानक जयंती का उत्सव

गुरु नानक जयंती एक बहुत ही महत्वपूर्ण और आनंदमय त्योहार है। यह एक दिन है जब सिख अपने धर्म के संस्थापक को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

गुरु नानक जयंती के दिन, सिख गुरुद्वारों में जाते हैं और प्रार्थना करते हैं। वे गुरु नानक देव के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित भजन गाते हैं और कविताएँ सुनाते हैं। वे उपदेश भी सुनते हैं जो गुरु नानक देव के सिद्धांतों को सिखाते हैं।

गुरु नानक जयंती के दिन, सिख भी अपने घरों और गुरुद्वारों को सजाते हैं। वे दीयों और मोमबत्तियों से रोशनी करते हैं, और वे फूलों और माला से सजाते हैं।

गुरु नानक जयंती के दिन, सिख भी लंगर का आयोजन करते हैं। लंगर एक मुफ्त भोजन है जो सभी के लिए खुला है। यह सिख धर्म के एक महत्वपूर्ण सिद्धांत, सेवा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

गुरु नानक जयंती एक दिन है जब सिख अपने धर्म और अपनी परंपराओं का जश्न मनाते हैं। यह एक दिन है जब वे गुरु नानक देव की विरासत को याद करते हैं और उनके संदेशों को फैलाते हैं।

गुरु नानक जयंती का महत्व

गुरु नानक जयंती सिख धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव की जयंती का उत्सव मनाता है। गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक थे, और उनकी शिक्षाओं और उपदेशों ने सिख धर्म को एक मजबूत और जीवंत धर्म के रूप में विकसित करने में मदद की है।

गुरु नानक जयंती का उत्सव सिखों के लिए एक अवसर है कि वे अपने धर्म के संस्थापक को श्रद्धांजलि अर्पित करें और उनके संदेशों को याद करें। यह एक दिन है जब सिख अपने धर्म और अपनी परंपराओं का जश्न मनाते हैं।

1. गुरु नानक देव जी का जन्म:

गुरु नानक जयंती का आयोजन करने का मुख्य कारण गुरु नानक देव जी के जन्म की सार्थक यात्रा को स्मरण करना है। वे 15 अप्रैल, 1469 में राय बोई के एक छोटे से गाँव में जन्मे थे। उनके जन्म के समय ही दिखा गया था कि यह विशेष बच्चा भविष्य में एक महान धर्मिक गुरु बनेगा। 

2. सतगुरु की शिक्षाएं:

गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन को सजीव धर्म के अद्यतित सिद्धांतों को बढ़ावा देने में समर्थ बनाया। उनकी शिक्षाएं सर्वधर्म समानता, मानवता, सहानुभूति, और इश्वर के प्रति अनुराग से भरी हैं। उन्होंने सिख धर्म की शुरुआत की और उनकी शिक्षाएं आज भी सिख समुदाय में प्रचलित हैं।

3. सच्चा सेवा और संतुलन:

गुरु नानक देव जी ने सच्ची सेवा और संतुलन के माध्यम से एक आदर्श समाज की स्थापना करने की महत्वपूर्ण बातें सिखाईं। उनका उदाहरण दिखाता है कि वे सभी वर्गों, जातियों और धर्मों के लोगों को समानता और प्रेम के साथ देखते थे।

4. सच्चा नाम और ध्यान:

गुरु नानक देव जी ने अपने अनुयायियों को सत्य और ईमानदारी की महत्वपूर्णता सिखाई, और उन्हें सच्चे नाम का जाप करने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना था, “वाहेगुरु” जो कि ईश्वर का एक नाम है, का ध्यान रखना हमें उच्चता की दिशा में ले जाता है।

5. समाज की सेवा और सामंजस्य:

गुरु नानक देव जी ने समाज की सेवा को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की। उन्होंने लोगों को सिखाया कि सच्ची भक्ति का मतलब है, अपनी सेवा से अपने आत्मा को पवित्र करना।

6. साखीयाँ और बाणी:

गुरु नानक देव जी की साखीयाँ और बाणी आज भी सिखों के लिए मार्गदर्शन का स्रोत हैं। उनकी अनमोल वचन और कविताएं हमें धार्मिकता, सच्चाई, और मानवता के मूल मूल्यों की महत्वपूर्णता की शिक्षा देती हैं।

7. गुरु नानक जयंती का उत्सव:

गुरु नानक जयंती के दिन, सिख समुदाय धार्मिक रूप से सजता है, गुरुद्वारे साफ-सुथरे होते हैं और समूह में कीर्तन और कथा का आयोजन किया जाता है। लोग एक दूसरे के साथ मिलकर लैंगर सेवा करते हैं और समाज सेवा के क्षेत्र में योजनाएं आयोजित करते हैं।

8. सिखों के लिए एक मार्गदर्शक:

गुरु नानक जी का जीवन और उनकी शिक्षाएं सिखों के लिए एक अमूर्त स्रोत हैं जो उन्हें सच्चे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी दिशा में चलने से समाज में एकता, समरसता, और शांति की भावना बनी रहती है।

गुरु नानक की विरासत का अद्भुत आधार

गुरु नानक जयंती एक दिवस है जिसमें हमें गुरु नानक देव जी के उदार दृष्टिकोण, सहिष्णुता, और सच्चाई की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। उनके सिखों में आपसी समर्पण, एकता, और सद्गुण की भावना है जो आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण हैं। गुरु नानक जी का यह आदर्श जीवन हमें सच्चे मार्गदर्शन की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है और हमें एक समृद्धि और सामंजस्यपूर्ण समाज की दिशा में प्रेरित करता है।


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